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@arpitajtweets
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यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिभज़्वति भारत:।
अभ्युत्थानमधमज़्स्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥
अर्थ : हे भारत (अर्जुन),जब-जब धर्म ग्लानि यानी उसका लोप होता है और अधर्म में वृद्धि होती है,तब-तब मैं (श्रीकृष्ण) धर्म के अभ्युत्थान के लिए स्वयम् की रचना करता हूं अर्थात अवतार लेता।
#जन्माष्टमी https://t.co/tLZJudCkWo
अभ्युत्थानमधमज़्स्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥
अर्थ : हे भारत (अर्जुन),जब-जब धर्म ग्लानि यानी उसका लोप होता है और अधर्म में वृद्धि होती है,तब-तब मैं (श्रीकृष्ण) धर्म के अभ्युत्थान के लिए स्वयम् की रचना करता हूं अर्थात अवतार लेता।
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