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भारतीय परंपरा में ईश्वर की लोकप्रिय प्रार्थना है: “त्वमेव माता च पिता त्वमेव”। ईश्वर में भी पहले माता का रूप देखा गया है।
इसी प्रकार आचार्य, विद्यार्थियों को उपदेश देते थे ‘मातृ देवो भव, पितृ देवो भव, आचार्य देवो भव’। इस प्रकार माता का स्थान पिता और आचार्य से पहले माना गया है।
इसी प्रकार आचार्य, विद्यार्थियों को उपदेश देते थे ‘मातृ देवो भव, पितृ देवो भव, आचार्य देवो भव’। इस प्रकार माता का स्थान पिता और आचार्य से पहले माना गया है।