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@KotwalMeena
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"मीडिया संस्थानों में कहा जाता है कि पत्रकार की कोई जाति नहीं होती लेकिन न्यूजरूम पहुंचने के साथ वह जाति दिखने लगती है.
अल्टरनेटिव मीडिया खुद को लिबरल-प्रोग्रेसिव कहता है लेकिन वहां भी दलित/आदिवासी को मौका नहीं मिलता! आखिर ऐसा क्यों है, कमी कहां है..?"
https://t.co/mO02IQqUtP
अल्टरनेटिव मीडिया खुद को लिबरल-प्रोग्रेसिव कहता है लेकिन वहां भी दलित/आदिवासी को मौका नहीं मिलता! आखिर ऐसा क्यों है, कमी कहां है..?"
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