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@Aryavrta
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#HanumanJayanti #सद्गुणों_की_खान_हनुमानजी की भक्ति निर्भरा भक्ति-एकनिष्ठ भक्ति है।
अपने राम स्वभाव में ही निर्भर,कर्मफल पर निर्भर नहीं।
हनुमानजी कहते हैं ‘‘प्रभु!आपकी भक्ति से जो प्रेमरस मिल रहा वह अवर्णनीय है।
मुझे मुक्ति-स्वर्ग क्या चाहिए,प्रभु!आप सेवा दे रहे बस पर्याप्त है। https://t.co/74f94Kz30m
अपने राम स्वभाव में ही निर्भर,कर्मफल पर निर्भर नहीं।
हनुमानजी कहते हैं ‘‘प्रभु!आपकी भक्ति से जो प्रेमरस मिल रहा वह अवर्णनीय है।
मुझे मुक्ति-स्वर्ग क्या चाहिए,प्रभु!आप सेवा दे रहे बस पर्याप्त है। https://t.co/74f94Kz30m