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चुनावी सभाओं में जोर-जोर से कहा गया कि "न खाऊंगा, न खाने दूंगा", क्योंकि सत्ता हथियानी थी। सत्ता मिलते ही "न खाने, न खाने देने" की बात तो दूर, "हिसाब देने" तक से किनारा कर लिया गया। उल्टा भ्रष्टाचार को वैध और बना दिया।
#असत्याग्रही_मोदी https://t.co/gCJtOfK48M
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