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@KotwalMeena
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देखिए इनकी भाषा, इन्हें इतना दर्द क्यों? और मैं तो मेहनत की खाती हूं, फ्री का कभी खाया ही नहीं.
मेरे माता-पिता मजदूर हैं, उन्होंने भी ताउम्र ईंट पत्थर तोड़ कर खाया है, हमारी जिंदगी खुली किताब है, जो चाहे पता करले कि कौन मजदूरी करके खा रहा है और कौन मुफ्त का? मेहनतकश को डर कैसा? https://t.co/vFIYFTpqD7
मेरे माता-पिता मजदूर हैं, उन्होंने भी ताउम्र ईंट पत्थर तोड़ कर खाया है, हमारी जिंदगी खुली किताब है, जो चाहे पता करले कि कौन मजदूरी करके खा रहा है और कौन मुफ्त का? मेहनतकश को डर कैसा? https://t.co/vFIYFTpqD7